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31 Jan 2023 · 1 min read

अब कुछ उम्मीदों का टूट जाना जरूरी है

अब कुछ उम्मीदों का टूट जाना जरूरी है
गम हो भले फिर भी मुस्कुराना जरूरी है |

दोस्ती के बंधन में बांधते हो तुम अगर
एक बार तुमको भी आजमाना जरूरी है |

खिला हो फूल भले दिन में रोशन सा
एक बार उसका भी मुरझाना जरूरी है |

चाहे दोस्त काबिल हो या ना हो काबिल
एक बार तो उसको भी निभाना जरूरी है

जीतना भी जरूरी है हारना भी जरूरी है
मोन भी जरूरी है दहाड़ना भी जरूरी है |

कवि दीपक सरल

3 Likes · 157 Views
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