अब किस पर करें भरोसा।
अब किस पर करें भरोसा,
हर किसी मे यूँ बस गद्दार दिखता है।।1।।
कहा तो बहुतों ने मदद का,
सच हकीकी ना मददगार मिलता है।।2।।
छोड़कर क्या गए तुम हमें,
किसी मे ना कोई आदाब दिखता है।।3।।
मुझको क्या बचाओगे तुम,
मेरा खुदा खुद मेरा ख़्याल रखता है।।4।।
बेकार हो गया मुजरा तेरा,
यूँ जिस्मों का अब बाज़ार लगता है।।5।।
उसे ना ज़रूरत अब कोई,
वह तन्हा ही बड़ा शादाब दिखता है।।6।।
अब क्या पाएंगे हम उसे,
ज़िन्दगी में बड़ा तामझाम लगता है।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ