अब किसे बरबाद करोगे gazal/ghazal By Vinit Singh Shayar
काँपते होठों की फ़रियाद याद करोगे
देख लेना तुम इक रोज हमें याद करोगे
जानते हैं तेरे छोड़ के जाने का सबब हम
इतना बता दो अब किसे बरबाद करोगे
याद आएंगे तुझको मेरे नगमे वो सारे
ग़ैरो के शेर पे जब जब इरशाद करोगे
जाने को जा रहे हो हमें छोड़ कर तो तुम
यादों से अपनी कब हमें आज़ाद करोगे
मेरे सामने जब मेरे ज़ख्मों पे ठहाका है
नम आँख किस तरह फिर मेरे बाद करोगे
~विनीत सिंह