अब कहां चैन पड़ता है
अब कहां चैन पड़ता है
अब कहां आराम है
महबूब से जुदा होके जीना
कितना मुश्किल काम है
बेकरार से दिन रहते हैं
बे सुकून सी तमाम रातें
उदास रहता है दिल हर पल
क्या सुबह क्या शाम है
अब कहां चैन पड़ता है
अब कहां आराम है
महबूब से जुदा होके जीना
कितना मुश्किल काम है
बेकरार से दिन रहते हैं
बे सुकून सी तमाम रातें
उदास रहता है दिल हर पल
क्या सुबह क्या शाम है