कहो अब और क्या चाहें
कहो अब और क्या चाहें तेरे सिवा हम
क्यों किसी और को चाहें तेरे सिवा हम
कहो अब और क्या चाहें……………
तेरा साथ है तो हैं ये खुशियाँ जहाँ की
चाहत नहीं हमको किसी दूजे जहाँ की
नहीं रखते ख्वाहिश कोई तेरे सिवा हम
कहो अब और क्या चाहें……………
तेरा साथ है तो है संग ये सारी खुदाई
तुझसे ही तो है मेरी जिंदगी मुस्कुराई
रखते नहीं आरजू कोई तेरे सिवा हम
कहो अब और क्या चाहें…………..
तेरा साथ है तो नहीं डर हमको कोई
नहीं जिंदगी की है फिक्र हमको कोई
“विनोद”कहाँ जाएँ अब तेरे सिवा हम
कहो अब और क्या चाहें……………