अब और क्या चाहिए
तुम मिल गए हमदम जीने को अब और क्या चाहिए
साथ तेरा काफी है जीने को अब और क्या चाहिए
ये धन ये दौलत ये इज़्ज़त ये शोहरत सब गौण है मेरे लिए
हाथ जबसे तेरा हाथ आया है जीने को अब और क्या चाहिए।
इंजी. संजय श्रीवास्तव “सरल”
बालाघाट ( म प्र)
06:03:2022