अब उम्र भर आंसू का, फरमान हुआ तो क्या हुआ
जो इश्क़ के व्यापार में नुकसान हुआ तो क्या हुआ,
गर इश्क़ के समन्दर का ही सफर, आसान हुआ तो क्या हुआ।
दिल तोड़ने वाले ही ने उसे गुलशन बनाया था,
फिर वो मेहरबां कुछ पल को, बेईमान हुआ तो क्या हुआ।
एक अकेले दिल को उसने सारी दुनिया की पहचान दी,
अब अगर वो खुद ही हमसे, अंजान हुआ तो क्या हुआ।
उसके साथ रहने से ये राह सूनी गुलज़ार रही,
अब ये आगे का रास्ता, सुनसान हुआ तो क्या हुआ।
इश्क़ के सफर में बेशक, उसको हमने खुदा जाना,
इस मतलबी दुनिया में, वो भी गर इंसान हुआ तो क्या हुआ।
इश्क़ ने ही सूने होठों पर, चमकती मुस्कान लहराई थी,
अब उम्र भर आंसू का, फरमान हुआ तो क्या हुआ।
————-शैंकी भाटिया
अक्टूबर 25, 2016