*अब् तो घूम लिया है *
अब् तो घूम लिया है तुमने, पूरा यह संसार।
बन्द करो अब् नयना नर्तन,पथ के यायावार।।
दो छोड़ लकीरें महा घिनौनी
दूर हटा दो खंजर फेंको ।
अपनी अश्मत सबको प्यारी
मत अपने नयना सेको ।
मत समझो यह बहती दरिया,खींचो ना पतवार।।1।।
देख पुंनमी रातों को तुम
मत उछलो कूदो मन्छलो।
वरदानी इस जीवन को
कुछ हया के गाने रच लो।
वर्ष विता लिए बहुत अब,छोड़ ये नोकीली तलवार।2।
झुटे पन की खाली पुस्तक,
कब तक और रचोगे ।
बहना शुरू करेगी धारा
फिर खुद को बचा सकोगे ।
काट गर्दने अनगिन फेंकी, अब् रोको यह संहार ।4।
मानुष होकर पता नहीं
कहाँ मान मनुजता फेंकी।
क्या उन पर चलना अच्छा
जिनका ना नाम निशाना लेखी।
दे दो ना किंचित सी भिक्षा,मांगे तेरा यह परिवार ।।5।।
जहर नहीं खा सकते ही
तो अमृत भी मत पी लो।
जितने दिन पाये हो छुटटी
दिन उतने ढंग से जीलो।
किसने पाई अमृत पुड़िया, हे मानवता के उद्धार ।।6।।
जनवरी–03-2018—————–शायं-08.50 बजे