“अबला नहीं मैं”
ना हारूं मैं
ना ही रुकूं
स्वाभिमानी बनूं
ना मैं झुकूं,
जमाना है कैसा
क्यों मैं सोचूं ?
अखंडता की प्रतीक
अत्याचारी को नोचूँ,
सपनों के पंख लगा
उडूं मैं गगन में
कर्म करूं ऐसा
महकू इस चमन में,
नर तेरी सोच छोटी
क्यों मैं इसमें बहूं ?
छूंऊं लक्ष्य मेरा
मीनू मैं तुमसे कहूं।
Dr.Meenu Poonia