अबके रंग लगाना है
अबके रंग लगाना है
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होली के दिन, चुपके से तुम
पास मेरे जब आते हो।
और हौले से , गाल को मेरे
लाल-हरा कर जाते हो
तब मेरा मन भी कुछ तुमको
रंगने को ललचाता है
पर घबराकर और सकुचाकर
कुछ भी न कर पाता है|
आने दो होली को फिर से
अबके रंग लगाना है
सतरंगी रंगों से तेरे
जीवन को रंग जाना है
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डॉ. रीतेश कुमार खरे “सत्य”
🙏🏻🙏🏻