***”अबकी बार दीवाली में “***
“अबकी बार दिवाली में “
मिट्टी के दिये जलाना अबकी बार दिवाली में
घर आँगन रंगोली सजाना अबकी बार दिवाली में।
माँ लक्ष्मी संग सरस्वती, गणपति पूजन अबकी बार दिवाली में।
धूप दीप प्रज्वलित करना अबकी बार दिवाली में।
वंदनवार तोरण द्वार कदली मंडप लगाना अबकी बार दिवाली में।
माँ लक्ष्मी का स्वागत ज्ञान का दीप जलाना अबकी बार दिवाली में।
छप्पन भोग रुचि नैवेध चढ़ाना अबकी बार दिवाली में।
तिमिर मन को हराकर नवदीप प्रकाशित करना अबकी बार दिवाली में।
रैन बसेरा करती लक्ष्मी सुख समृद्धि ले आना अबकी बार दिवाली में।
दीपमालिका रोशन करती छबि नैनन में बसाना अबकी बार दिवाली में।
भूखे को रोटी गरीबों को कंबल दे जाना अबकी बार दिवाली में।
मधुर संबंध अपनापन हृदय में जगाना अबकी बार दिवाली में।
धरती अंबर रोशनी दे तिमिर को दूर भगाना अबकी बार दिवाली में।
जीवन पथ पर दीप जलाकर प्रीत की रीत बढाना अबकी बार दिवाली में।
अमावस की रात में अंर्तज्योति जलाना अबकी बार दिवाली में।
चाँद छिप गया बादलों में आतिशबाजी चलाना अबकी बार दिवाली में।
देश की सँस्कृति अमूल्य धरोहर को अमर उजाला बनाना अबकी बार दिवाली में।
“शशिकला व्यास “
राधे राधे जय श्री कृष्णा