Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2023 · 1 min read

अफ़सोस न करो

अफसोस न करो
कि कुछ भी हासिल नहीं हुआ ।
कोई भी खुद में
आज तक मुकम्मल नहीं हुआ ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
4 Likes · 235 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
गणेश जी का आत्मिक दर्शन
गणेश जी का आत्मिक दर्शन
Shashi kala vyas
सुहागन की अभिलाषा🙏
सुहागन की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जटिलताओं के आगे झुकना
जटिलताओं के आगे झुकना
VINOD CHAUHAN
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Chitra Bisht
बारिश
बारिश
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
संविधान शिल्पी बाबा साहब शोध लेख
संविधान शिल्पी बाबा साहब शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
" ठिठक गए पल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
कावड़ मैं लाऊँगा- भजन -रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
कावड़ मैं लाऊँगा- भजन -रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
थोड़ा अदब भी जरूरी है
थोड़ा अदब भी जरूरी है
Shashank Mishra
संवेदनहीनता
संवेदनहीनता
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जिसकी विरासत हिरासत में है,
जिसकी विरासत हिरासत में है,
Sanjay ' शून्य'
कौन‌ है, राह गलत उनको चलाता क्यों है।
कौन‌ है, राह गलत उनको चलाता क्यों है।
सत्य कुमार प्रेमी
3869.💐 *पूर्णिका* 💐
3869.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जीवन मंथन
जीवन मंथन
Satya Prakash Sharma
एक छोटी सी मुस्कान के साथ आगे कदम बढाते है
एक छोटी सी मुस्कान के साथ आगे कदम बढाते है
Karuna Goswami
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
ना होंगे परस्त हौसले मेरे,
Sunil Maheshwari
गणेश वंदना छंद
गणेश वंदना छंद
Dr Mukesh 'Aseemit'
"बहुत दिनों से"
Dr. Kishan tandon kranti
कह दो!
कह दो!
©️ दामिनी नारायण सिंह
* मंजिल आ जाती है पास *
* मंजिल आ जाती है पास *
surenderpal vaidya
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
फूल
फूल
Punam Pande
*बादल छाये नभ में काले*
*बादल छाये नभ में काले*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
Poonam Matia
वक्त बुरा तो छोड़ती,
वक्त बुरा तो छोड़ती,
sushil sarna
माँ
माँ
Dr Archana Gupta
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
इस नये दौर में
इस नये दौर में
Surinder blackpen
*एक तथ्य*
*एक तथ्य*
*प्रणय*
Loading...