अफसोस
खंजर के सीने में भी होता होगा दिल ,
उतर कर किसी मासूम के कलेजे पर ,
वोह भी जार जार रोया होगा ।
मगर ए खुदगर्ज इंसान ! तू किस मिट्टी का बना है ?
तेरे सीने में शायद “वोह ” दिल
डालना ही भूल गया होगा ।
आज कितना अफ़सोस हो रहा होगा ,
“उसे “अपनी इस रचना पर ।