अफवाह क्या होता है
क्या कभी सोचा है अफवाह क्या होता हैं । क्या इसके भी पैर होते है ,क्या इसके हाथ भी होते हैं , बहुत तेजी से दौड़ते हुए फैलता है । कभी सोचा मानव जीवन मे इस अद्भुत शब्द का भी क्या योगदान जो मानव जीवन की ऐसी की तैसी कर देता है ।
मुद्दा बड़ा हास्यपद था और साँप की तरह विषैला भी । कभी सोचा जब इसकी चर्चा परिचर्चा की जाती हैं तो ये दुम दबाकर ऐसी भागती है जैसे किसी पिछवाड़े में मधुमखी काट ली हो ।
खैर गाँव टोला में ,समाज मे , शहर -वहर में जब कोई विषय मे बात छिड़ती हैं ,तो कई ऐसे लोग होते हैं , जो बड़े डिंग हांकते है , कुछ ऐसे झूठ मुठ के बस फेके (चापै) जाते हैं ,मानो ऐसा ठेल दे कि हिमालय भरभरा के गिर पड़े । वही तीसरा होगा जो कनसुपवा जैसे सुनता रहेगा , जैसे बात खत्म वैसे ही दूसरे से लेश देगा , ऐसे ही इंसान को अफवाह युक्त इंसान कहते हैं जबकि गाँव देहात में ‘दोगला इंसान ‘ कहते हैं ।
हम लोग कभी कभी गाँव देहात में सुनते हैं कि सुन रहे हो बेचूँ के चाचा , पंडिताइन की लड़कियां लहरिया भाग गई ठकुराने में एक लड़के के साथ मे ।
अब वह लड़की भागी है ना भागी वो तो भगवान जाने ,लेकिन यह बात पूरा पंडिताने ,और ठकुराने दोनों में टार्च लाइट की तरह फैल गया । गाँव मे तो यह आम बात है कि अच्छा लड़की भाग गई तो अब उनके साथ अपना हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है , वही शहर में ठीक हम कौन सा जानते हैं कह कर बात पर पर्दा डाल दिया जाता है । और वही गाँव मे जो पाटीदार और दुश्मन लोग ,अब कोई मौका नही छोड़ते जलील करने का , ऐसा ऐसा पेच मरते हैं मानो महादेव अगर विष नही पिये होते तो उस अभागे माता पिता को पीना पड़ता है ।
गजब का समाज है ,भारत , खूबियां भी खामियां भी ।कई रीति रिवाज , कई परम्परा , कई झूठ मुठ के नीव पर खड़ी ये विरासत अफवाह से कई घर तबाह करती हैं ।
ऐसा नही है कि एक दो उद्धरण है कई हजारों उद्धरण मौजूद हैं परंतु आज वर्तमान की प्रंसगिकता यह है कि भारत वासी अफवाह में जी रहे हैं ।
आप सभी जानते हैं वर्तमान में कोरोना महामारी का दौर है ,सरकार के द्वारा कई प्रयत्नों से महामारी को कम करने हेतु वैक्सीन ,दवा, तथा अन्य तकनीकी विकास को बढ़ाया गया । परन्तु एक और कई ऐसे गाँव है जो इनके प्रयत्नों का विरोध करते हैं ,अब उनमें अफवाह फैली है कि वैक्सीन से म्रत्यु हो रही , कोरोना कुछ नही है , मोदीया का सब नाटक है तमाम उल्लुल जुलूल बाते कर लोगो के आत्मविश्वास को तोड़ा जा रहा है ।
मेरे पंसदीदा कथनों में मुझे एक कथन बहुत अच्छा लगता है ” जिन्ना हमेशा कहता था कुछ पाना हो तो अफवाह फैला दो , जैसे मैंने पाकिस्तान को अफवाह के दम पर प्राप्त कर लिया ” ।
देहात में अक्सर सुनने में आता है जब किसी के घर उनकी बेटी की शादी होती हैं , तो अक्सर पाटीदार या शत्रु , लोग उसका विवाह रोकने के लिए नए नए पैतरे अपनाते हैं ,जैसे कहेंगे लड़की के चाल चलन ठीक नही है , लड़की तिरछी देखती हैं , लड़की का शहर में चक्कर है , लड़की झगड़ालू है , अगैरह वैगरह बाते कर उसका रिश्ता लगने से पहले तोड़ देते हैं ।
ऐसे कई उदाहरण है मेरे पास जो अफवाह फैला कर लोगो की ख़ुशी भंग की जाती हैं । गाँव के लोग बड़े सीधे होते है किसी के भी चिपडी बातों में आ जाते हैं ,लेकिन शहर वाले इन बातों को धयान ही नही देते क्योकि उनके पास दो जून रोटी कमाने से ज्यादा वक्त ही नही है । अच्छा सोचिए शहर का इंसान 12 घण्टे काम कर के आएगा तो ये पागलो वाली बात पर ध्यान देगा ,नही , इन सभी बातों पर बेमतलब का चर्चा परिचर्चा चाय के दुकान पर होगा ,या गाँव के किसी बुजुर्ग मंडली में होगा ।
मुझे आज भी याद है मैं अफवाह का एक बार शिकार हुआ था, अपने ही थे । हमारा मानना है ” पीठ पर मारलो लेकिन पेट पर मत मारो “।
अर्थात जो भी कुछ हो मन मे मलाल सब सामने कह देना चाहिए , पीठ पीछे बुराई नही करनी चाहिए ।
अर्थात गाँव मे कोई स्वभिमानी पुरुष जब अपने दुश्मन को ललकारता है तो कहता है मर्द का बच्चा है तो बाहर निकल क्या मेहरारू की तरह चूड़ी और साया पहन कर घर में बैठा है ।तो कोसिस करे अफवाह से बचे और सत्य और ईमानदारी का हाथ थाम कर अपने जीवन को खुशहाल बनाये और दुसरो के लिए प्रेरणा का स्रोत बनने का प्रयास कीजिये ।