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11 Jun 2023 · 1 min read

अप्पो दीपोभव

अप्पो दीपोभव

सिद्धार्थ पर
नहीं ‌था कोई ‌दवाब
पिता के वचनों का
जैसे राम का बनवास
कौन-सा था दवाब
जो तुम चले गये
छोड़ पुत्र, पत्नी
और‌ सब रनिवास
क्या नहीं हो सकती तपस्या
महल के शांत सुरम्य‌ कक्ष में
जो तुम जंगलों‌ की खाक
छानते रहे
वर्षों रहें भटकते बाहर‌
यह जानने के लिए
क्यों है मानव दुःखी
भीतर की यात्रा से जान पाये
तृष्णा है दुखों का‌ घर
सत्य और सद् आचरण से
हो सकता है मुक्त मानव
बन सकता है बोद्धिसत्व
अप्पो दीपोभव।
वर्तमान फंसा तृष्णा के जाल में
क्या कोई सिद्धार्थ पुनः बनेगा बुद्ध
जो‌ सिखा सके तृष्णा से करना युद्ध
स्वयं का दीपक बन,बने वह प्रबुद्ध।

Language: Hindi
53 Views
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