अप्पन आन ,की,आन अप्पन—१
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शारदा निवास ,मोहन वावू दू मास पहिने किन्ने छला।पूणे स बंगलूरू तबादला भेलैन्ह त पहिने बंगलूरू में एक्टा बंगला किन लेला।मोहन वावू रेलवे में इन्जिनियर छलाह,पत्नी राधा रेलवे में एकाउन्ट अफसर।केन्द्र सरकार के नौकरी एक विभाग मे तैं दूनू के बदली संगे होइन।मोहन वावू लव मैरिज केने रहथि तैं माता पिता रंजायल रहैत छलखिन।विवाह के बाद मोहन वावू अपन गाम नहि गेल छलाह,कारण मोहन वावू पंजीबद्ध छल पत्नी निम्न जाति के छलखिन,अनुलोम विवाह छल।दूनू के दस वर्ष की बेटी छलैन्ह बस।
खैर ,बंगलूरू में रेलवे सन्ट्रल स्कूल में बेटी को नाम लिखा देलखिन,मुदा एक टा बड पैघ दिक्कत नीक मेड नहि भेटला के कारणे बच्ची के असगर कोना छोडति बच्ची स्कूल से सीधा माय लग कार्यालय चलि जाइत छल आ खेलाइत खेलाइत अखरा टेबुल पर सुति रहैत छल।बेटी के देखि माय राधा क हृदय विदीर्ण भ उठै मुदा क की सकैत छली?
लगभग एक वर्ष बित रहल छल राधा एक्टा नोटिस केलि जे एक्टा बुढ़िया भोरे आवि क भरि दिन घर के आगॉ बैसल रहैत अछि आ टुकुर टुकुर घर दिस देखैत रहैत अछि। आई शुक्र छलैई काल्हि शनि रवि छुट्टी छलै।रात्रि में राधा मोहन के कहलखिन जे एक्टा बुढ़िया संदिग्ध वर्ष दिन स घर के रेकी करैत अछि,हमर मोन सशंकित रहैत अछि।मोहन ठीक छै काल्हि छुट्टी अछि देखै छियै नहि त पुलिस में सनहा करा देवै।
भोर भेल मोहन वावू और राधा लॅन में बैसल चाह पिव रहल छलि,कि बुढ़िया आवि क बैस गेल राधा मोहन वावू के कहलखिन जे हे देखियौ आवि के बैस गेल।मोहन वावू वाच मैंन के बजाय के पुछलखिन जे ओ बुढ़िया के छै?
वाच मैं कहलकैन्ह जे एहि बंगला के पुरना मालकिन।एंकर बेटा ठकि क मकान बेचि क अमेरिका चलि गेलै बेचारी के घर वला के पेन्शन भेटै छै आ वृद्धाश्रम में रहैत अछि।
अरे ई महेश के मॉ छै।मोहन वावू आ महेश संगे इन्जिनियरिंग खेने छला। महेश अमेरिका चलि गेल वियाहदान ओतहि केलक आ आब त वासिंदे भ गेल।ओ एहन नीच कर्म केलक?मोहन वावू वाच मैंन के कहलखिन जे बजावू त ।
क्रमशः
दोसर मे समाप्त भ जायत सत्य घटना आधारित कथा।
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आशुतोष झा