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12 Dec 2020 · 1 min read

अपर्ण आराधना

अपर्ण आराधना चाहिए , मात की वंदना चाहिये
जन मन में हो संचरित शक्ति , ऐसी कामना चाहिये

भय मुक्त हो जाये नारी , हर ओर रहे विचरती
किसान खुदकशी न करें कभी , हरी भरी हो सब धरती

सभी को मिले सिर ऊपर छत , सभी को मिले नित वस्त्र
सुरक्षा का भूगोल तय हो , न चाहिये कोई अस्त्र

इस नवरात्र पर सदा सबकी , यही उपासना चाहिए
अपर्णा आराधना चाहिए , मात की वंदना चाहिये

अहंकार , लालच , क्रोध भावों , नर की पशुवृत्ति नाश हो
उदात्त , परम रचनात्मक शक्ति , जन आधि भौतिक समृद्धि हो

कोई बाले छली न जाये , शक्ति पर शक्ति चाहिये
राजतंत्र से हो नहीं पनाह , दरिन्दे बचना न चाहिये

इस नवरात्र पर बने सबकी , यह तो कामना चाहिये
अपर्णा आराधना चाहिए , मात की वंदना चाहिये

मेरे देश की श्रम शक्ति जो , भटकती न हो इधर उधर
हर श्रमिक के घर जले चूल्हे , जिन्दगी न किसी की भंवर

प्रजा का ध्यान हर पल नृप को , तो बने रहना चाहिये
भूख मिटे कैसे उनकी , यह भी भान होना चाहिये

इस नवरात्र पर हम सभी की , होनी भावना चाहिये
अपर्णा आराधना चाहिए , मात की वंदना चाहिये

Language: Hindi
74 Likes · 446 Views
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