Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Aug 2021 · 1 min read

अपमान का घूंट

” तुम्हें कुछ नहीं मालूम ,”
” तुम चुप रहो ”
ऐसे शब्द प्राय: घर की स्त्री सुनती है ,
अपने पति और बच्चों के मुख से ।
अशिक्षित हो तो अपनी भूल स्वीकार कर लेती है ।
और मान जाती है ।
परंतु जब वो उच्च शिक्षा प्राप्त स्त्री है तो ,
वो क्यों स्वीकार करे ? ,
क्यों माने अपनी भूल ?
उसे यह शब्द तीर की तरह चुभते है ।
और अंतर्मन को लहू लुहान कर देते है।
परंतु घर में कलह न हो इस मजबूरी से ,
अपमान के घूंट पीकर रह जाती है।

Language: Hindi
1 Like · 253 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
वक्त की हम पर अगर सीधी नज़र होगी नहीं
वक्त की हम पर अगर सीधी नज़र होगी नहीं
Dr Archana Gupta
उस झरोखे को बंद करें, जो आपको पीड़ा देता है, बाहर का दृश्य च
उस झरोखे को बंद करें, जो आपको पीड़ा देता है, बाहर का दृश्य च
इशरत हिदायत ख़ान
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
Shreedhar
Time and tide wait for none
Time and tide wait for none
VINOD CHAUHAN
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दूध वाले हड़ताल करते हैं।
दूध वाले हड़ताल करते हैं।
शेखर सिंह
"पापा की परी”
Yogendra Chaturwedi
ठूँठ ......
ठूँठ ......
sushil sarna
"जीवन की अंतिम यात्रा"
Pushpraj Anant
शिव-शक्ति लास्य
शिव-शक्ति लास्य
ऋचा पाठक पंत
■ मिली-जुली ग़ज़ल
■ मिली-जुली ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
वक़्त को गुज़र
वक़्त को गुज़र
Dr fauzia Naseem shad
दिल टूटने का डर न किसीको भी सताता
दिल टूटने का डर न किसीको भी सताता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*दौड़ा लो आया शरद, लिए शीत-व्यवहार【कुंडलिया】*
*दौड़ा लो आया शरद, लिए शीत-व्यवहार【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाकर।
surenderpal vaidya
मैं हर रोज़ देखता हूं इक खूबसूरत सा सफ़र,
मैं हर रोज़ देखता हूं इक खूबसूरत सा सफ़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Ak raat mei  ak raaz  hai
Ak raat mei ak raaz hai
Aisha mohan
आकलन
आकलन
Mahender Singh
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" साड़ी "
Dr. Kishan tandon kranti
एहसासे- नमी (कविता)
एहसासे- नमी (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
********* कुछ पता नहीं *******
********* कुछ पता नहीं *******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
तू रुकना नहीं,तू थकना नहीं,तू हारना नहीं,तू मारना नहीं
पूर्वार्थ
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ।
Sanjay ' शून्य'
शिवनाथ में सावन
शिवनाथ में सावन
Santosh kumar Miri
नारी की स्वतंत्रता
नारी की स्वतंत्रता
SURYA PRAKASH SHARMA
“चिट्ठी ना कोई संदेश”
“चिट्ठी ना कोई संदेश”
DrLakshman Jha Parimal
जो विष को पीना जाने
जो विष को पीना जाने
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कड़वा सच
कड़वा सच
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Loading...