अपमान का घूंट
” तुम्हें कुछ नहीं मालूम ,”
” तुम चुप रहो ”
ऐसे शब्द प्राय: घर की स्त्री सुनती है ,
अपने पति और बच्चों के मुख से ।
अशिक्षित हो तो अपनी भूल स्वीकार कर लेती है ।
और मान जाती है ।
परंतु जब वो उच्च शिक्षा प्राप्त स्त्री है तो ,
वो क्यों स्वीकार करे ? ,
क्यों माने अपनी भूल ?
उसे यह शब्द तीर की तरह चुभते है ।
और अंतर्मन को लहू लुहान कर देते है।
परंतु घर में कलह न हो इस मजबूरी से ,
अपमान के घूंट पीकर रह जाती है।