अपनो से भी कोई डरता है
हुआ सो हुआ, अपनों से भी, कोई डरता है ,
अमन चैन सुख शांति के सब मुसाफिर फिर भी क्यों, अखरता है !
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क्या मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा क्या, सब बुद्धि से सजता है,
मान्यता तेरी क्या, श्रद्धा, आस्था, विश्वास तेरा, क्यों नहीं समझता है !!
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प्रकृति को जाने, निसर्ग में मिल जायें, वही वही है, जो बोलता है, जो सुनता है,
मन की प्रकृति है, दोष है, विकृति है, उसके हर्फ़, क्यों नहीं पढ़ता है !!!
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जीवन हो जो गौतम सा, झलक रैदासजी, वाणी साहेब कबीर की,
खोल देती हैं, राज जमीं के, फुले सी समझ, शिवाजी महाराज सी ताकत !!!!
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बाबा साहेब द्वारा प्रारूपित , वह किताब , सार है, संसार है,
ज्ञान है, विज्ञान है , तर्क पर आधारित है, तेरा ध्यान किधर है !!!!!
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डरो मत ! लड़ो मत, भागों मत, ठहर जाओ !
सब्र रख, सहज सब !
मिलेगा सब ! ये हक और अधिकार, उनकी रक्षा, आवाज़ उठायेगा तब !!!!!!
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Mahender Singh