– अपनो पर जब स्वार्थ हावी हो जाए –
– अपनो पर जब स्वार्थ हावी हो जाए
कुछ न दिखे न ही कुछ वे देख पाए,
धर्तृराष्ट की तरह ही सब की आंखों की रोशनी चली जाए,
गांधारी सी सबके आंखो पर पट्टी बंध जाए,
कहते है अंधा होता है कानून,
पर अपने स्वार्थ में सबकुछ देखते ही अंधे हो जाए,
विनाश आ रहा दबे पांव से,
उसको न देख पाए,
रहे अपने गुमान में मग्न पर,
एक दिन वो ठोकर खाए,
अपनो के हक का खाने की मन में इच्छा हो जाए,
नीति उनकी भ्रष्ट हो जाए,
अपनो पर जब स्वार्थ हावी हो जाए,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान