– अपनो के होते हुए भी ना होने का दुख –
– अपनो के होते हुए भी ना होने का दुख –
निज पीड़ा में व्यथित रहना कोई अपना ना पास जब होना,
मन विचलित कर जाए ,
कुछ भी समझ में ना आए,
मन जब बहुत घबराए,
जब सब कुछ होते हुए भी किसी को पास ना पाए,
दिल की बेचैनी को यह दुनिया समझ न पाए,
मन की बात जब अपने मन में ही रह जाए,
किसी को दिल खोलकर सब कुछ कहना चाहे,
मगर एक शब्द भी ना कह पाए,
पीड़ा कुंठा अंदर ही अंदर जलाए,
अपनो के होते हुए भी ना होने का दुःख जब मन कह जाए,
भरत एकांत में आ जाना,
गेहलोत कुछ शब्द कविता के गढ़ जाना,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184-