अपनों से शिकायत
खास कर शिकायत
सभी से हो जाती है ,
उम्र के दरम्यान,
जलन, ईर्ष्या,लोभ प्रायः सभी में है।
पल दोस्ती क्षण भर में शिकायत।
क्या अपना क्या पराया
यहां गैरों से ज्यादा,
अपनों से ही शिकायत होती है।
ताउम्र जिन्हें अपनाकर समझकर खुश हैं।
वो ही दुर्लभ दुःख देते हैं।
गैरों से ज्यादा अपनों से ही शिकायत है।
आजकल मां -बाप ही ज्यादा मजबूर , हो जाते ।
घर बदले वृद्धाश्रम में नजर आते हैं।
-डॉ सीमा कुमारी।
7-10-024की स्वरचित रचना है मेरी।