अपनों के खो जाने के बाद….
अपनों के खो जाने के बाद
बस यादें ही रह जाती हैं साथ
सन्नाटा सा छाया है इन घर की सभी दीवारों में
इन गलियों में, इन चौबारों में
अब वो आवाज़ फिर कभी ना सुन पाएंगे हम
बस हर पल ये आंखें रहेंगी नम
तुम मुझसे जुदा रहकर भी न कभी जुदा रहना
बस तुम मेरे ही खुदा रहना
है सभी परिचित यहां लोग भी हैं जाने पहचाने
तुम्हारे बिना यकीनन हो गए हैं सभी अनजाने, सभी बेगाने
तुम्हारा अचानक से ही छोड़कर चले जाना
यह हकीकत नहीं लगता है अफसाना
मेरी खुशियां ये क्यों जला दी
मुझसे दूर जाकर क्यों मेरी जिंदगी मिटा दी
जिंदगी अब हो गई है अज़ीब
क्या यही था मेरा नसीब
ये ज़ख़्म बन गए हैं अब नासूर
आखिर क्या था मेरा कसूर
काश तुम लौट आओ
मुझे छोड़कर फिर कभी ना जाओ
दिल से निकलती है यही आस
इस अंतर्मन में है एक यही एहसास
एक नजर भर देखने को है दिल बेकरार
जिंदगी की अंतिम सांस तक है बस तुम्हारा इंतेज़ार
-ज्योति खारी