अपनों के काफ़िले
शहर की भीड़ में ना जाने कहां चले।
गांव से आए सपने कहीं खो चले।
दिल करता है कि वापिस वहीं चले।
जहां रहते है अपनों के काफ़िले।।
शहर की भीड़ में ना जाने कहां चले।
गांव से आए सपने कहीं खो चले।
दिल करता है कि वापिस वहीं चले।
जहां रहते है अपनों के काफ़िले।।