अपनों का साथ भी बड़ा विचित्र हैं,
अपनों का साथ भी बड़ा विचित्र हैं,
साहब
मैं पैसों से कमज़ोर हूं,
इसका एहसास ये पहले कराते है…
जलता हूं,सुनता हूं, फिर भी रूका नही हूं …
उनकी ख्वाहिशों के लिए….
अपनों का साथ भी बड़ा विचित्र हैं,
साहब
मैं पैसों से कमज़ोर हूं,
इसका एहसास ये पहले कराते है…
जलता हूं,सुनता हूं, फिर भी रूका नही हूं …
उनकी ख्वाहिशों के लिए….