अपने हालात का जिकर क्या करते
अपने हालात का जिकर क्या करते
पल दो पल का सफर क्या करते
तलाश करने लगे साये का यारों
पसीने से तर-बतर क्या करते
खॾॆ रहने को तो जगह ही नहीं
बिस्तर भर की फ़िक्र क्या करते
हालात ने जीना सीखा दिया है
या इलाही तेरा शुकर क्या करते
वक्त गुजर जाता है ईबादत मे”नूरी”
वरना शामों सहर हम क्या करते
नूरफातिमा खातून”नूरी”