अपने सफऱ में खुद की कमियाँ छांटता हूँ मैं ,
अपने सफऱ में खुद की कमियाँ छांटता हूँ मैं ,
खुद के गुनाहों पर खुद ही को डांटता हूँ मैं,
अब है उड़ानों की जरुरत मेरे पंखो को,
फिर भी पंखो को खुद ही के.. कांटता हूँ मैं..!!
अपने सफऱ में खुद की कमियाँ छांटता हूँ मैं ,
खुद के गुनाहों पर खुद ही को डांटता हूँ मैं,
अब है उड़ानों की जरुरत मेरे पंखो को,
फिर भी पंखो को खुद ही के.. कांटता हूँ मैं..!!