अपने लिए जीने वाला!
जो इंसान अपने लिए ही जीता रहता है।वह दूसरों की जिंदगी का महत्व कैसे समझ सकता है। क्योंकि वह जिस ऊर्जा से जीवन की गाड़ी चलती है।वह उसे बगैर परिश्रम, और बिना प्रयास किये ही मिल जाती है। इसलिए ही वह उसकी कीमत नही करता है। जैसे पानी से समस्त जीवों का जीवन निर्भर करता है। लेकिन आज तक इंसान ने उसके महत्व को नही पहचाना है। इंसान पानी को खर्च कम करता है!पर! उससे की गुना बर्बाद करता रहता है। फिर भी किसी भी सरकार और प्रशासन ने आज तक पानी के लिए ठोस कानून नही बनाया है। क्योंकि यह हमें बगैर परिश्रम से उपलब्ध हो रहा है। किसी भी तरह आपकों पीने के लिए पानी मिल ही जाता है।और आक्सीजन भी हमें बिना प्रयास करें ही मिलती रहती है।भले ही हमने एक भी पौधा न लगाया हो।आक्सीजन मिलना तय है। सृष्टि चलाने के लिए ईश्वर को कितने रुप धारण करने पड़ते हैं।यह कोई नही जान सकता है।जबकि मनुष्य की जिंदगी तप पर कायम रहती है।जो संवेदनशील व्यक्ति होते हैं। वहीं इस भावना को समझ सकते हैं। जैसे परिवार में एक इंसान अच्छा होता है तो वह पूरे परिवार को पाल देता है।