Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2024 · 1 min read

*अपने भारत देश को, बॉंट रहे हैं लोग (कुंडलिया )*

अपने भारत देश को, बॉंट रहे हैं लोग (कुंडलिया )
_________________________
अपने भारत देश को, बॉंट रहे हैं लोग
जाति-व्यवस्था पर टिका, इनको भाता योग
इनको भाता योग, रोग प्रतिदिन फैलाऍं
चाह रहे हैं राज्य, केंद्र पर छा-छा जाऍं
कहते रवि कविराय, क्षुद्र हैं इनके सपने
दुर्बल करते देश, बंधु यह कैसे अपने

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

41 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
बेज़ार सफर (कविता)
बेज़ार सफर (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
........
........
शेखर सिंह
धर्म बनाम धर्मान्ध
धर्म बनाम धर्मान्ध
Ramswaroop Dinkar
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
Neelam Sharma
विषय तरंग
विषय तरंग
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चन्द्रयान 3
चन्द्रयान 3
डिजेन्द्र कुर्रे
कृष्ण कुमार अनंत
कृष्ण कुमार अनंत
Krishna Kumar ANANT
दिल के दरवाज़े
दिल के दरवाज़े
Bodhisatva kastooriya
अमृतकलश
अमृतकलश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
कवि रमेशराज
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
*जो कहता है कहने दो*
*जो कहता है कहने दो*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
एकाकार
एकाकार
Shashi Mahajan
24/227. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/227. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*शाही दरवाजों की उपयोगिता (हास्य व्यंग्य)*
*शाही दरवाजों की उपयोगिता (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
सबला
सबला
Rajesh
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
इनको साधे सब सधें, न्यारे इनके  ठाट।
इनको साधे सब सधें, न्यारे इनके ठाट।
गुमनाम 'बाबा'
उम्र भर मलाल रहेगा कि तुम मेरे ना हो पाए
उम्र भर मलाल रहेगा कि तुम मेरे ना हो पाए
शिव प्रताप लोधी
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
■ आज़ाद भारत के दूसरे पटेल।
■ आज़ाद भारत के दूसरे पटेल।
*प्रणय प्रभात*
मई दिवस
मई दिवस
Neeraj Agarwal
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
किताब कहीं खो गया
किताब कहीं खो गया
Shweta Soni
दुख ही दुख है -
दुख ही दुख है -
पूर्वार्थ
गमन जगत से जीव का,
गमन जगत से जीव का,
sushil sarna
वापस लौट आते हैं मेरे कदम
वापस लौट आते हैं मेरे कदम
gurudeenverma198
विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस
Surinder blackpen
Loading...