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3 Feb 2022 · 1 min read

अपने बिछड़ों से मिलने

यह एक सुंदर पहाड़ियों के बीच बसा गांव था, मेरे ही सुंदर सपनों की तरह मगर न जाने क्यों वीरान लग रहा था। प्रकृति की छटा निराली थी पर जीवन का कोई अंश नहीं दिख रहा था। थोड़ा बहुत दिख भी रहा था तो सायों के रूप में। मुझे यहां आकर लगा कि मैं अपने बिछड़ों से मिलने शायद यहां तक आई हूं। मैंने उन्हें अपने अन्तर्मन के किसी गहरे विशुद्ध अहाते से बड़ी श्रद्धापूर्वक हाथ जोड़कर दिल से पुकारा और सच मानिए मेरी आत्मा के द्वार शायद उन्हीं के तेज कदमों की आहटों से एक मन्दिर में बजती घंटियों की तरह ही झंकृत होने लगे।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
367 Views
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