अपने दिल से
(5)
अपने दिल से लगा भी सकते हैं ।
तेरे नज़दीक आ भी सकते हैं ।।
कोई परदा नहीं है तुझसे मेरा ।
अपनी नज़रें झुका भी सकते हैं।।
ज़िन्दगी तुझसे है मेरे हमदम ।
ये हक़ीक़त छुपा भी सकते हैं ।।
रौनकें कम नहीं है चाहत की ।
अपना चेहरा दिखा भी सकते हैं ।।
बस तेरी एक ख़ुशी के लिए।
अपनी खुशियाँ लुटा भी सकते हैं।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद