अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह
मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह
मेरा क़द इस ज़मीं से तो ऊँचा न था
मुझको देखा गया आसमां की तरह
चाह कर भी तुझे भूल सकता नहीं
दिल में रहता है तू इक जहाँ की तरह
मेरी हस्ती है गर्दे सफ़र देख ले
मैं हूँ ठहरे हुए कारवां की तरह
जब तलक हूँ तिरे शह्र में हूँ तिरा
उड़के चल दूंगा आसी धुंआ की तरह
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सरफ़राज़ अहमद आसी