Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2024 · 1 min read

“अपने घर के सबसे बडे़ लडके हैं हम ll

“अपने घर के सबसे बडे़ लडके हैं हम ll
जिम्मेदारियों की परतों से ढके हैं हम ll

सारे मौसम सिर से होकर गुजरते हैं,
धूप, ठंड और बरसात में पके हैं हम ll

पल भर भी वक्त नहीं आराम के लिए,
कभी घूमते, कभी घिसटते चके हैं हम ll

हम भी इंसान हैं, हमें भी दर्द होता है,
ऊपर आसमान से थोड़ी टपके हैं हम ll

वक्त के थपेड़ों ने कुछ लायक बना दिया,
मिट्टी में मिल जाएंगे, मिट्टी के मटके हैं हम ll”

71 Views

You may also like these posts

भोले
भोले
manjula chauhan
आओ बाहर, देखो बाहर
आओ बाहर, देखो बाहर
जगदीश लववंशी
फ़ुर्सत में अगर दिल ही जला देते तो शायद
फ़ुर्सत में अगर दिल ही जला देते तो शायद
Aadarsh Dubey
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
Success Story-1
Success Story-1
Piyush Goel
ज़िंदगी की मशक़्क़त में
ज़िंदगी की मशक़्क़त में
Rekha Sharma "मंजुलाहृदय"
👍👍👍
👍👍👍
*प्रणय*
शृंगारिक अभिलेखन
शृंगारिक अभिलेखन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गीत सुनाता हूं मरघट के सुन पाओगे।
गीत सुनाता हूं मरघट के सुन पाओगे।
Kumar Kalhans
रिश्तों में दोस्त बनें
रिश्तों में दोस्त बनें
Sonam Puneet Dubey
कौन कहता है की ,
कौन कहता है की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
अपना कहूं तो किसे, खुद ने खुद से बेखुदी कर दी।
अपना कहूं तो किसे, खुद ने खुद से बेखुदी कर दी।
श्याम सांवरा
" हिम्मत "
Dr. Kishan tandon kranti
बसंत हो
बसंत हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/127.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रेम गीत
प्रेम गीत
हरीश पटेल ' हर'
यूँ तो बिखरे हैं
यूँ तो बिखरे हैं
हिमांशु Kulshrestha
अश्क मुस्कुरा दें ....
अश्क मुस्कुरा दें ....
sushil sarna
सपनों का ताना बना बुनता जा
सपनों का ताना बना बुनता जा
goutam shaw
शिक्षक….
शिक्षक….
Kavita Chouhan
कटु दोहे
कटु दोहे
Suryakant Dwivedi
शोर से मौन को
शोर से मौन को
Dr fauzia Naseem shad
फिर न आए तुम
फिर न आए तुम
Deepesh Dwivedi
कलयुग के बाजार में
कलयुग के बाजार में
gurudeenverma198
ज़रा इतिहास तुम रच दो
ज़रा इतिहास तुम रच दो "
DrLakshman Jha Parimal
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
काश जज्बात को लिखने का हुनर किसी को आता।
Ashwini sharma
दिया है नसीब
दिया है नसीब
Santosh Shrivastava
*जो भी जन भोले-भाले हैं, उनको केवल पछताना है (राधेश्यामी छंद
*जो भी जन भोले-भाले हैं, उनको केवल पछताना है (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
शीर्षक: पापी मन
शीर्षक: पापी मन
Harminder Kaur
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...