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24 Nov 2016 · 1 min read

“अपने” कितने अपने :- ———————– कई अपनों को पराये होते देखा है हमने।

“अपने” कितने अपने :-
———————–
कई अपनों को पराये होते देखा है हमने।
आपस में फूट डालकर मुस्कुराते देखा है हमने।
हर तूफानों का सामना अकेले करना पड़ता है
अपनों को तो दरकिनार होते देखा है हमने।
#पूनम_झा | कोटा , राजस्थान |24-11-16
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Language: Hindi
1 Like · 260 Views
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