अपने और जख्म
बिना खुन निकले हुए भी
जख्म गहरा हो जाता है
जब अपनो से मिलती है बेरूखी
और जब होते अपनो से
तीखे शब्दो का प्रहार
तब यह चोट सीधे दिल पर लगता है
यह चोट इतना जयादा गहरा होता है
इसलिए यह बाहर से नही दिखता है
पर सच कहती हूँ मै
यह चोट ताउम्र कभी नही मिटता है।
बनकर नासूर यह ताउम्र चूभता रहता है।
~अनामिका