अपने आलोचकों से
दुनिया भर के शोषितों, वंचितों, पीड़ितों, अपमानितों और उपेक्षितों का साहित्य जिसने नहीं पढ़ा हो वह मेरी कविता को कभी समझ ही नहीं सकता।
दुनिया भर के शोषितों, वंचितों, पीड़ितों, अपमानितों और उपेक्षितों का साहित्य जिसने नहीं पढ़ा हो वह मेरी कविता को कभी समझ ही नहीं सकता।