अपने -अपने सपने
@मैंने भी सपने देखें हैं ।@
मैंने भी सपने देखें हैं ।
सोकर नहीं जाग जागकर
मैंने भी सपने देखें हैं ।
सुख की नींद त्याग त्यागकर
रोज समझते अब सच होगा ।
मेरा सपना कब सच होगा ।।
सोच रहा हूँ कही चेतना
कम है संपने को पाने की
तभी लक्ष्य है दूर हो रहा
सुंदर छवि में बस जाने पर।।
कही स्वयं से हम मिल करके
समझाया ठोकर खाने पर।
कभी कभी मजा भी आया ।
धूप सहन कर तप जाने पर।।
मिली हवाएं शीतल करती
श्रम सीकर के बह जाने पर।।
#विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र