अपने-अपने चक्कर में,
अपने-अपने चक्कर में,
सभी लोग डूबे रहते हैं,
परवाह किसी का अब,
यहाँ करता है कौन ।
सारी दुनिया झूठी है,
सच्चा कम, फरेबी ज्यादा,
मदद करने की बारी आये,
तो सब हो जाते मौन ।।
अपने-अपने चक्कर में,
सभी लोग डूबे रहते हैं,
परवाह किसी का अब,
यहाँ करता है कौन ।
सारी दुनिया झूठी है,
सच्चा कम, फरेबी ज्यादा,
मदद करने की बारी आये,
तो सब हो जाते मौन ।।