अपने.अपने आईने
अपने.अपने आईने
शहीदी सींच से
आज़ाद धरा पर
जो पली थी
जनतंत्र फ़सल
उसमें
स्वार्थी किरचें
ख़रपतवार सी उगीं
और
जनने लगी आईने
अब
अपने – अपने चेहरे
अपने – अपने आईने ।
अपने.अपने आईने
शहीदी सींच से
आज़ाद धरा पर
जो पली थी
जनतंत्र फ़सल
उसमें
स्वार्थी किरचें
ख़रपतवार सी उगीं
और
जनने लगी आईने
अब
अपने – अपने चेहरे
अपने – अपने आईने ।