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19 Jan 2024 · 1 min read

अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने

अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही बाजुओं पर सर रखा है

अपने ही कांधे पर टिकाए हैं आंसू
अपनी ही अंजुलियो में रश्क़ भरा है

अपने ही माथे को चूमा है हवा बन
अपने ही लबों पर अंगार रखे हैं

अपने ही हाथों से बांधी हैं पायलें
अपने ही पते पर खत लिखा है

#विरह

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