अपनी शिद्दत को
अपनी शिद्दत को क्या बयां करते ।
हक़ मोहब्बत का कुछ अदा करते ।।
तू सलामत रहे कहीं भी रहे ।
वास्ते तेरे बस यही दुआ करते ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
अपनी शिद्दत को क्या बयां करते ।
हक़ मोहब्बत का कुछ अदा करते ।।
तू सलामत रहे कहीं भी रहे ।
वास्ते तेरे बस यही दुआ करते ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद