“अपनी भूल नहीं मानते हम ll
“अपनी भूल नहीं मानते हम ll
अपने उसूल नहीं जानते हम ll
हर पौधे की अलग और सुंदर होती हैं पत्तियां,
फिर भी उन पत्तियों को फूल नहीं मानते हम ll
जीवन के रहमोकरम पर रहते हुए भी,
जीवन को अनुकूल नहीं मानते हम ll
यह जानते हुए कि सब मिट्टी में मिल जाएगा,
धन, दौलत, शौहरत को धूल नहीं मानते हम
नफरतों में वक्त जाया कर रहे हैं,
नफरतों की फिजूल नहीं मानते हम ll”