अपनी बिटिया के लिए ।
चौपाई आधारित गीतिका ।
16,16 मात्राओं की यति पर चार चरण।
अतिप्रिय मेरी चपल बालिका ।
अंक-गणित की अंक-तालिका।
उचित रसायन यह जीवन का ,
यही भौतिकी मनोभाविता ।
हिन्दी का यह उपन्यास है ।
मुस्कानों की लघु-नाटिका ।
चंचलता की अज़ब कहानी,
मम कविता की मृदुल-साधिका ।
बोले तो जैसे रामायण ।
उछल-कूँद है जैसे गीता ।
रूठे तो सावित्री जैसी ,
मान जाए तो लगती सीता ।
वनस्पति-विज्ञान जो मेरा ,
उसकी है यह लघु-वाटिका ।
जीव-शास्त्र मेरे आँगन का ,
यही वेद है, यही संहिता ।
माँगें इसकी अर्थशास्त्र हैं ।
मेरे मन को सदा ही भातीं ।
रुचियाँ इसकी राजनीति हैं ,
जो मुझको जीवन सिखलातीं ।
यह कुऱान है,यही बाइबिल ।
गुरू-ग्रंथ का सार यही है ।
कुहके बिटिया कोयल जैसी ,
जीवन का उद्धार यही है ।
इँग्लिश के अक्षर-सी टेढ़ी ।
उर्दू-सी यह उल्टी दिखती ।
यही मंत्र है, यही त्राृचा है,
यह श्लोक-़सी बातें लिखती ।
बँगला का यह राष्ट्र-गीत है ।
गुजराती का यही भजन है ।
सिर पर है कश्मीरी टोपी ,
मीरा-सी यह मधुर-लगन है ।
गंगा-सी निर्मलता इसमें ।
रेवा की यह सुंदर घाटी ।
क्षिप्रा की यह सजल धार है,
यमुना-सी यह व्रज की थाती ।
जिस घर में बेटी न होती ,
वह घर सूना-सा हो जाता ।
दया,धर्म,ममता,अपनापन ,
उस घर से जैसे खो जाता ।
बिटिया ही मेरा बेटा है ।
यही भारती,धर्म-नायिका ।
यही अर्चना, यही वंदना ,
मम जीवन की मधुर-गायिका ।
अतिप्रिय मेरी चपल बालिका ।
अंक-गणित की अंक-तालिका ।
उचित रसायन यह जीवन का ,
यही भौतिकी मनोभाविता ।