“ अपनी बाँहों में ले लो “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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तड़पते रहे तेरे बिन मेरे साजन ,अब तो तड़पना सुहाता नहीं है !
सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो ,मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
इतने दिनों के बाद मिले हो ,
अब तुम छोड़ के जाना नहीं !
बाँहों में मुझको रखना सदा ,
छोड़के कभी फिर जाना नहीं !!
इतने दिन हम दूर रहे साजन , सुध मेरी कोई भी लेता नहीं है !
सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो , मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
कहने को सब साथ हैं मेरे ,
पर तेरी कमी मुझे खलती है !
रात -रात भर तारे गिनकर ,
जिंदगी मेरी यूँही कटती है !!
अब ना रहेगी कमी कोई मुझमे ,बिछुड़ना तुम्हारा सुहाता नहीं है !
सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो , मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
रहूँगी सदा सँग ही साजन ,
मैं भी चलूँगी साथ तेरे !
जन्मों का बंधन मान लिया ,
नहीं छोड़ूँगी ये हाथ तेरे !!
अब सँग सदा मैं तुम्हारी रहूँगी ,कोई दूसरा ख्याल आता नहीं है !
सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो , मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
तड़पते रहे तेरे बिन मेरे साजन , अब तो तड़पना सुहाता नहीं है !
सँग जो मेरे तुम रहते नहीं हो , मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत
29.05.2022