— अपनी ढपली अपना राग —
बात सत्य है
आज इस कलियुग में
न जाने कितने गुरु हो गए
न जाने कितने प्रेरित करने वाले हो गए
जिस को देखो सब गुरु गुरु हो गए
देखते ही देखते लोग पागल हो गए
लूटा दिया घर बार अपना
सब गुरु के भक्त हो गए
सबका का अपना झंडा
सबका के अपने वस्त्र हो गए
मन के अपनी मैल को धो न पाए
सब आजकल अंध भगत हो गए
कोई कहता पीले कपडे पहनो
कोई कहता सफ़ेद धारण कर आओ
कोई कहता साधू वाले पहन आओ
कोई कहता तिलक माथे पर धर आओ
न जाने क्यूं गुरु भी पार्टी के जैसे हो गए
अपना झंडा, अपना गुणगान
करवाते करवाते जैसे खुद भगवान् हो गए
आज उनके नियम में बंधकर
कितने घर ही वीरान हो गए
जमा पूँजी में से इतने निकालो
सारे खुद बा खुद धनवान अब हो गए
गुरु बनाओ जरुर बनाओ
उनके बिना भव सागर पार नही लग पाओगे
पर गुरु बनाओ ऐसा
जिस के दिल में न हो बस……पैसा
अजीत कुमार तलवार
मेरठ