Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Sep 2021 · 2 min read

” अपनी ढपली,अपना राग “

डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
===============
आज सब अपने ही धुनों पर थिरक रहे हैं !……. लगता ही नहीं है कि हम कभी ‘कोरस ‘ भी गया करते थे ! सुरों का सामंजस ,ताल ,लय ,उतार चड़ाव के साथ रंगमंचों में चार चाँद लग जाते थे ! हम सब एक साथ चलते थे ! हमारे समूहों में किसी के लडखडाने का आभास हो तो उसे सारे लोग अपने कन्धों में उठाये बैतरनी पार कराते थे ! हमारे सहयोग ,विचारधारा ,आपसी ताल मेल के बीच द्वन्द का समावेश यदि होता भी था तो निराकरण विचार विमर्स के बाद हो ही जाता था ! समान विचार धारा वाले ही अधिकांशतः मित्र बनते थे ! हम भलीभांति उन्हें जानते थे वे हमें जानते थे ! हम उम्र होने के नाते हम अपने ह्रदय की बातों को बेहिचक एक दुसरे के सामने रखते थे ! अपने कामों के अलावे मित्रों के साथ समय बिताना किसे नहीं अच्छा लगता था ! अच्छी- अच्छी बातें करना ,हँसी मजाक ,भाषण देने का अभ्यास , संगीत, गायन ,खेल -कूद इत्यादि..इत्यादि हमलोंगो को भाते थे !….परन्तु ……आज के परिवेश में मित्रता की परिभाषा ही बदलने लगी !……हमने तो पुराने को सराहा ..नए युगों का भी स्वागत्सुमनों से स्वीकार किया ! …हम अभी भी आरती की थाल लिए प्रतीक्षा कर रहें हैं ..आँगन में रंगोलियाँ सजी है …कलश में धान की बालियाँ डाली गयीं हैं ….थाल में गुलाबी रंगों का लेप है …हम गृह लक्ष्मी का अभिनन्दन करेंगे ! हमें सबसे जुड़ना चाहते हैं ! ……और हम जुड़ने भी लग रहे हैं ! …पर एक बात तो माननी पड़ेगी ..हम एक दुसरे को समझ पाने में कहीं न कहीं पीछे पड़ गए ! ..कोई निरंतर लिखता है ..”हाई…कैसे हैं ?..आप अपना सेल्फि भेजें ….क्या बात है ..क्या आप नाराज हैं ? “……. यही बातें शायद सबको चूभ सकती है ! दरअसल मित्रता का दायरा विशाल हो गया पर हम एक दुसरे को जान ना सके … मित्रता का स्वरुप कुछ बदला बदला नजर आने लगा है ! बस हम यहीं पर लडखडा गए हैं ! …..कभी -कभी कोई मित्र युध्य शांति के बिगुल बाजने लगते हैं और कहते हैं ” मैने अपना टाइम लाइन को आउट ऑफ़ बाउंड बना रखा है इसे झाँकने का प्रयास ना करें “…….कहिये तो, मित्रता में यह प्रतिबन्ध कैसा ?… सब ठीक हो जायेंगे …..हम जान गए, नयी नवेली दुल्हन को समझने में समय तो लगेगा ! तब तक हम ” अपनी ढपली,अपना राग ” गाते , बजाते और सुनते रहें …….!
===========================
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
एस ० पी ० कॉलेज रोड
नाग पथ
शिव पहाड़
दुमका
झारखण्ड
भारत

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 289 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...