अपनी अपनी सोच
खोजी हो तो खोजिये
निज इच्छा की खोज
घटना तो घटित हुआ
है अपनी अपनी सोच
खेल खेल था खेल समझ
निज इच्छा से खेली खेल
निज पति को पागल बना
आशिक को हुआ है जेल
घटना तो घटित हुआ है
खबर छपी है हर रोज
खोजी हो तो खोजिये
अपनी अपनी है सोच
बन सुर्पनखा ज्योति मौर्य
अपनी नाक कटा ली है
होकर बदनाम सारी दुनिया
सबको ज्ञान सिखा दी है
कमजोर समझ पति को निज
स्वयं खिंचने लगी थी खाल
खेल खेल सा खेल रही थी
कलंकित भये नारी सा चाल
आशिकों को सबक़ सिखा दी
कलंकित नारी का खेलते खेल
निज पति को पागल बनाकर
स्वयं आशिक को भेजी जेल
स्वयं अहंकारी नारी बनकर,
आशिक का करती है खोज
घटना तो अभी घटित हुआ है
अपनी अपनी है यह निज सोच
नारी जगत अब लें शिक्षा,
पुरूष प्रबल है मेरे यार
न कर छल छिद्रकभी पति से
गिरना पड़ेगा शिर भार
डां विजय कुमार कन्नौजे
अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग