Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Nov 2023 · 1 min read

अपनी-अपनी जुगत लगाने, बना रहे घुसपैठ।

किसी को राजा बनना,
किसी को मंत्री बनना,
किसी को बनना धन्ना सेठ,
अपनी-अपनी जुगत लगाने।
बना रहे घुसपैठ।

कोई कहे आसमा से
सितारे ले आऊंगा ,
कोई कहे चंदा को,
गोद में तुम्हारी सुलाऊंगा,
ख़ुद की बखत बनाने,
झूठे वादे कर रहे ठेठ।
अपनी-अपनी जुगत लगाने….

कुछ भी करने की खातिर,
आज तो सब कुछ बन जाऊंगा,
नौकर ,माली,सेवक बन कर,
सबके पैर भी दबाऊंगा,
वादों से अपने कभी न जाऊंगा मेट।
अपनी-अपनी जुगत लगाने….

झुक जाऊंगा सजदों में,
गिर जाऊंगा कदमों में,
ग़म को कर दूंगा दूर,
खुशियों की फसल लहलहाउंगा,
नंगे पैर भी चलूँगा चाहे महीना हो जेठ।
अपनी-अपनी जुगत लगाने….

इतनी खातिर दारी करने,
आखिर क्यों आ जाते हैं,
पाँच बरस लग जाते हैं,
तब ही ये शक़्ल दिखाते हैं
कुछ भी हो कैसे भी हो
बेखौफ करते हैं भेंट।
अपनी-अपनी जुगत लगाने….

बन्द करो ये नाटक अपना,
जनता अब न भोली है,
सिखला देगी तुमको भी,
ये वो बंदूक की गोली है,
जनता के जज्बातों से
मत करना आखेट।
अपनी-अपनी जुगत लगाने,
बना रहे घुसपैठ।

कुमार दीपक “मणि”
07/11/2023

2 Likes · 256 Views

You may also like these posts

राम का आधुनिक वनवास
राम का आधुनिक वनवास
Harinarayan Tanha
दोहा
दोहा
sushil sarna
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
Paras Nath Jha
जगत जननी की पीड़ा
जगत जननी की पीड़ा
Sudhir srivastava
वक्त ही सबसे बड़ा गुरु
वक्त ही सबसे बड़ा गुरु
ओनिका सेतिया 'अनु '
कैसी प्रथा ..?
कैसी प्रथा ..?
पं अंजू पांडेय अश्रु
बदल गयो सांवरिया
बदल गयो सांवरिया
Khaimsingh Saini
हिन्दी गीति काव्य में तेवरी की सार्थकता। +सुरेश त्रस्त
हिन्दी गीति काव्य में तेवरी की सार्थकता। +सुरेश त्रस्त
कवि रमेशराज
सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है
सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है
अंसार एटवी
शंकर आदि अनंत
शंकर आदि अनंत
Dr Archana Gupta
*इंसानियत का कत्ल*
*इंसानियत का कत्ल*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Feeling of a Female
Feeling of a Female
Rachana
"पुरखों के जमाने के हो बाबा"
राकेश चौरसिया
*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ
*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
शान्ति कहां मिलती है
शान्ति कहां मिलती है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
महिला खिलाड़ी
महिला खिलाड़ी
Indu Singh
3661.💐 *पूर्णिका* 💐
3661.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
Shyam Sundar Subramanian
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
Sonu sugandh
आकाश मेरे ऊपर
आकाश मेरे ऊपर
Shweta Soni
मतवाला
मतवाला
Deepesh Dwivedi
"सनद"
Dr. Kishan tandon kranti
तिरंगा
तिरंगा
Ashwani Kumar Jaiswal
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
Lokesh Sharma
#बाउंसर :-
#बाउंसर :-
*प्रणय*
****हर पल मरते रोज़ हैं****
****हर पल मरते रोज़ हैं****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
औरों की तरह हर्फ़ नहीं हैं अपना;
औरों की तरह हर्फ़ नहीं हैं अपना;
manjula chauhan
*आज़ादी का अमृत महोत्सव*
*आज़ादी का अमृत महोत्सव*
Pallavi Mishra
तन को कष्ट न दीजिए, दाम्पत्य अनमोल।
तन को कष्ट न दीजिए, दाम्पत्य अनमोल।
जगदीश शर्मा सहज
Loading...