अपना शहर बेगाना हुआ
* अपना शहर बेगाना हुआ *
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अपना शहर बेगाना हुआ,
ऐसा इधर अफ़साना हुआ।
जब भी मिला वो प्यारा लगा,
हर वो शख़्श दीवाना हुआ।
देखे हमें उनको सालों हुए,
दीदार उनका नजराना हुआ।
महफ़िल भरी वो खाली लगी,
जब जान उनका जाना हुआ।
कोई न मनसीरत पाई डगर,
टूटी सड़क पर आना हुआ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)