अपना बिहार
ऐ बिहार कबसे तू पिछड़ रहा
क्या यह अपना वही बिहार है
जो सदा ही गौरवशाली रहा
आज क्या देखने को मिलती हैं…
जो आदिकाल से ही महान थी
लगता भूल सी गई अतीत अपनी
बस याद दिलाने की बात रह गई
फिर अतीत सी बनेगी बिहार अपनी…
जो बिहार ज्ञान की सागर हुआ करती
जहा ज्ञान ही ज्ञान भरा हुआ करता था
आज भी फैक्ट्री IAS,IPS की हुआ करती
फिर भी हमारा अपना बिहार ग्वार हो गया…
बस समय का खेल देखो यारो, इस बिहार को
वक्त ने खड़ा कर दिया कहा से कहा,किस ओर
इसे कोई और न बल्कि बिहारी ही बदल सकता
चलो चले कदम बढ़ाए बिहार की प्रगति की ओर…
उड़ती पंछी जमीं पर घायल होने पर गिर सकती
भले ही वो जख्मी हालत में उड़ाने में असमर्थ हो
भले ही वो जख्मी पंछी अभी उड़ान भर न सकती
यद्यपि ये नहीं कि पंछी उड़ान भरना ही भूल गई हो…
कवि:- अमरेश कुमार वर्मा
पता :- बेगूसराय, बिहार